AlcoholAlcohol made by chewingBy Social Worker Vanita Kasaniyan PunjabRead in another languageBe carefulEditAlcohol, alcohol or liquor is an alcoholic beverage.White wine
मदिरा, सुरा या शराब अल्कोहलीय पेय पदार्थ है।
रम, विस्की, चूलईया, महुआ, ब्रांडी, जीन, बीयर, हंड़िया, आदि सभी एक है क्योंकि सबमें अल्कोहल होता है। हाँ, इनमें एलकोहल की मात्रा और नशा लाने कि अपेक्षित क्षमता अलग-अलग जरूर होती है परन्तु सभी को हम 'शराब' ही कहते है। कभी-कभी लोग हड़िया या बीयर को शराब से अलग समझते हैं जो कि बिलकुल गलत है। दोनों में एल्कोहल तो होता ही है।
शराब अक्सर हमारे समाज में आनन्द के लिए पी जाती है। ज्यादातर शुरूआत दोस्तों के प्रभाव या दबाव के कारण होता है और बाद में भी कई अन्य कारणों से लोग इसका सेवन जारी रखते है। जैसे- बोरियत मिटाने के लिए, खुशी मनाने के लिए, अवसाद में, चिन्ता में, तीव्र क्रोध या आवेग आने पर, आत्माविश्वास लाने के लिए या मूड बनाने के लिए आदि। इसके अतिरिक्त शराब के सेवन को कई समाज में धार्मिक व अन्य सामाजिक अनुष्ठानों से भी जोड़ा जाता है। परन्तु कोई भी समाज या धर्म इसके दुरूपयोग की स्वीकृति नहीं देता है।
शराब सेवन के लक्षण संपादित By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाबकरें
शराब के लगातार सेवन से कुछ विशेष लक्षण दिखाई देने लगते हैं, जिसके आधार पर भी इसके आदी होने को पहचाना जा सकता है। जैसे-[1]
- हमेशा शराब सेवन करने की प्रबल इच्छा या तलब।
- असरदार (टॉलरेंस) नशा के लिए शराब की मात्रा में बढोतरी।
- शराब छोड़ने पर शरीर में कम्पन होना, रक्तचापअनियमित हो जाना, घबराहट, बेचैनी होना, कानों में आवाज सुनाई पड़ना, आँखो के सामने कीड़े-मकोडे़ चलते नजर आना, भयभीत होना, नींद न आना आदि। दुबारा सेवन करते ही इन लक्षणें में सुधार होना पाया जाता है।
- लम्बे समय तक अधिक मात्रा में सेवन करना।
- रूचिकर कार्यो से विमुख होने और अधिकतर समय शराब की तलाश में बिताना या नशे के प्रभाव में रहना।
- शारीरिक व मानसिक दुष्प्रभावों के बावजूद सेवन बंद नही रखना या कोशिश करने के बावजूद सेवन बंद नही कर पाना।
- सामाजिक, व्यवसायिक, पारिवारिक क्षेत्रो में हनन।
शराब का आदी होना संपादित करें
जब लोग शराब का सेवन जारी रखते है तो धीरे-धीरे ऐसी आदत बन जाती है कि उसे छोड़ पाना मुश्किल हो जाता है। वह व्यक्ति के जीवन का अभिन्न अंग बन जाता है। छोड़ने की कोशिश करने पर नाना प्रकार के शारीरिक व मानसिक परेशानियाँ होती है और व्यक्ति इसका लगातार सेवन करने के लिए बाध्य हो जाता है।
शराब के आदी व्यक्ति की पहचानसंपादित करें
जब व्यक्ति लगातार शराब पीने लगता है तब समस्याओं की निरंतर बढ़ती हुई स्थितियाँ आती है तथा शारीरिक समस्याएँ विशेष रूप से पेट की बीमारियाँ, यकृत (लीवर) की बीमारी विशेषतः सिरोसिस, स्नायु तंत्र की कमजोरियाँ, कैंसर आदि। यदि आदतों का शिकंजा बहुत मजबूत हो चुका है तो आप अपने आप से चार सवाल पूछें-
- क्या आपने शराब को कम करने या बंद करने की कोशिश की है?
- क्या आपके शराब पीने पर किसी ने कभी कुछ कहा जिससे आप क्रोधित हो गये?
- क्या आपको ऐसा लगता है कि शराब पीने से आप किसी दोषभाव से पीड़ित है?
- क्या सुबह उठते ही आपको शराब पीनी पड़ती है ताकि आपके शरीर में स्थिरता आये?
यदि इनमें से दो सवाल के भी उत्तर हाँ में है तो आप शराब के आदि हो चुके है और आपको तुरन्त चिकित्सा व्यवस्था करवानी चाहिए वरना आपका जीवन खराब हो सकता है।
शराब से शारीरिक क्षतिसंपादित करें
शराब शरीर के लगभग सभी अंगो पर अपना बुरा प्रभाव छोड़ता है अैर शरीर का शायद ही कोई अंग इसके दुष्प्रभाव से वंचित रहता है। शराब से पेट संबंधी बिमारियाँ जैसे- अपच, पेट के धाव (अल्सर), यकृत की बीमारी जैसे-सिरोसिस, लिवर का पूरी तरह से क्षतिग्रस्त होना, स्नायु तंत्र की कमजोरियाँ, हृदय संबंधी रोग विशेषतः रक्तचाप, यादास्त की बीमारी, कैंसर आदि। इस तरह से हम देखते है कि शरीर तो खराब होता ही है, मस्तिस्क की कोशिकाएँ भी मरने लगती है। मानसिक रोग उत्पन्न होते है तथा व्यक्ति में परिवर्तन आ जाता है।
व्यक्ति के जीवन पर अन्य प्रभाव शराब व्यक्ति के जीवन में कई स्तरों पर अपना प्रभाव डालती है। जैसे-मानसिक स्तर पर उत्तेजना, चिड़चिड़ापन, उदासी, आदि। व्यवसायिक क्षेत्र में कार्य दक्षता और क्षमता में गिरावट। सामाजिक स्तर पर धीरे-धीरे समाजिक गतिविधियों से विमुख होना और दूसरो की नजर में गिरना आदि।
Bal Vnita mahila ashramशराब छोडने के उपायसंपादित करें
सबसे पहले शराब पीने वाले खुद यह तय करे कि अब मैं शराब नही पीउँगा तो चिकित्सक इनकी मदद कर सकते है। देखा जाता है कि परिवार वाले तो उनके इलाज के लिए तैयार रहते है किन्तु व्यक्ति स्वयं इलाज नहीं कराना चाहता। ऐसी हालत में चिकित्सक का प्रयास सार्थक हो ही नहीं सकता।
मनश्चिकित्सा केन्द्रों में नशा विमुक्ति केन्द्र होते है जहाँ डी-टोक्सीफिकेशन द्वारा शराब छुड़ाने तथा उसके उपरांत मोटिवेशन थैरपी, फिजियोथैरपी तथा ग्रुप थैरपी द्वारा इससे निजात पाने की कोशिश की जाती है। स्वयं व्यक्ति के प्रबल इच्छाशक्ति तथा परिवार के सहयोग तथा चिकित्सकों के सतत् प्रयास से सफलता पूर्वक इसका इलाज संभव है।
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